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जुलाई, 2013 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

स्वाभिमान के बलात्कारी

आज मेरे एक मित्र - जो सौभाग्य से कवि और दुर्भाग्य से सरकारी विद्यालय में शिक्षक हैं -के साथ बड़ा बुरा हुआ .उन्हें कोई काम था और अपने बड़े साहब यानी ज़िला शिक्षा पदाधिकारी से मिलना था .अरे,मिलने के लिए भी पैरवी चाहिए सो उन्होंने मुझे फोन किया .मैंने उनके 'साहब ' को फोन किया ,कहा ,मेरे मित्र हैं,निहायत सीधे-साधे और भले आदमी हैं ,कवि हैं और शिक्षक हैं ,आपसे मिलना चाहते हैं -कुछ समय उन्हें दे दीजिये .उन ्होंने कहा ,क्यों नहीं ,जब आप कह रहे हैं .कहिएगा ,शाम में मिल लें .मैंने फोन पर कवि मित्र को इत्तला दे दी .हालाँकि अन्दर से कुछ अनिष्ट की आशंका हो रही थी क्योंकि कहते हैं कि 'साहब' का पटना के एक पौश इलाक़े में फ्लैट नहीं बल्कि पूरा अपार्टमेन्ट है .और इधर एक निर्धन शिक्षक को appointment दिलवा दिया . शिक्षक कवि कल शाम में पहुँचे तो साहब के पी .ए . टाइप एक शिक्षक ने आज सुबह साढ़े -छ्ह बजे आने को कहा .आज सुबह जब बारिश में भीगते हुए 'साहब' से मिलने गए तो उसी शिक्षक गुर्गे ने कहा ,अब दिन में ऑफिस में आइये।बेचारे भले आदमी परेशान .उन्होंने 'साहब' के उस गुर्गे से मेर...