आज मेरे एक मित्र - जो सौभाग्य से कवि और दुर्भाग्य से सरकारी विद्यालय में शिक्षक हैं -के साथ बड़ा बुरा हुआ .उन्हें कोई काम था और अपने बड़े साहब यानी ज़िला शिक्षा पदाधिकारी से मिलना था .अरे,मिलने के लिए भी पैरवी चाहिए सो उन्होंने मुझे फोन किया .मैंने उनके 'साहब ' को फोन किया ,कहा ,मेरे मित्र हैं,निहायत सीधे-साधे और भले आदमी हैं ,कवि हैं और शिक्षक हैं ,आपसे मिलना चाहते हैं -कुछ समय उन्हें दे दीजिये .उन्होंने कहा ,क्यों नहीं ,जब आप कह रहे हैं .कहिएगा ,शाम में मिल लें .मैंने फोन पर कवि मित्र को इत्तला दे दी .हालाँकि अन्दर से कुछ अनिष्ट की आशंका हो रही थी क्योंकि कहते हैं कि 'साहब' का पटना के एक पौश इलाक़े में फ्लैट नहीं बल्कि पूरा अपार्टमेन्ट है .और इधर एक निर्धन शिक्षक को appointment दिलवा दिया .
शिक्षक कवि कल शाम में पहुँचे तो साहब के पी .ए . टाइप एक शिक्षक ने आज सुबह साढ़े -छ्ह बजे आने को कहा .आज सुबह जब बारिश में भीगते हुए 'साहब' से मिलने गए तो उसी शिक्षक गुर्गे ने कहा ,अब दिन में ऑफिस में आइये।बेचारे भले आदमी परेशान .उन्होंने 'साहब' के उस गुर्गे से मेरा नाम लेकर कहा ,उनको फोन करता हूँ .मैं नींद में था .मुझे कवि मित्र का इतना भर फोन आया ,'देखिये ,ये मुझे साहब से मिलने नहीं दे रहे हैं ' और फोन कट गया .
शाम में निहायत आहत स्वर में कवि-शिक्षक मित्र का फोन आया तो शेष वाकये का पता चला .उन्होंने फोन इसलिए काट दिया था क्योंकि साहब अचानक अवतरित हो गए थे .उन्होंने समझा उनका त्राण करने को अवतरित हुए हैं .लेकिन साहब ने निहायत अपमानजनक लहजे में कहा ,'भागो यहाँ से ,मास्टर हो ,बूढ़े हो चले हो ,जब चाहा मिलने चले आये ,भागो ,अभी तुरंत भागो .' वे स्तब्ध रह गए .आजतक किसी ने उनका इतना अपमान नहीं किया था .वे कुछ नहीं कह पाए. उन्हें अपनी छोटी नौकरी और बड़े परिवार का ख़याल आया .वे अपमान से जलते हुए और बारिश में भीगते हुए वापस लौट आए.
शिक्षक कवि कल शाम में पहुँचे तो साहब के पी .ए . टाइप एक शिक्षक ने आज सुबह साढ़े -छ्ह बजे आने को कहा .आज सुबह जब बारिश में भीगते हुए 'साहब' से मिलने गए तो उसी शिक्षक गुर्गे ने कहा ,अब दिन में ऑफिस में आइये।बेचारे भले आदमी परेशान .उन्होंने 'साहब' के उस गुर्गे से मेरा नाम लेकर कहा ,उनको फोन करता हूँ .मैं नींद में था .मुझे कवि मित्र का इतना भर फोन आया ,'देखिये ,ये मुझे साहब से मिलने नहीं दे रहे हैं ' और फोन कट गया .
शाम में निहायत आहत स्वर में कवि-शिक्षक मित्र का फोन आया तो शेष वाकये का पता चला .उन्होंने फोन इसलिए काट दिया था क्योंकि साहब अचानक अवतरित हो गए थे .उन्होंने समझा उनका त्राण करने को अवतरित हुए हैं .लेकिन साहब ने निहायत अपमानजनक लहजे में कहा ,'भागो यहाँ से ,मास्टर हो ,बूढ़े हो चले हो ,जब चाहा मिलने चले आये ,भागो ,अभी तुरंत भागो .' वे स्तब्ध रह गए .आजतक किसी ने उनका इतना अपमान नहीं किया था .वे कुछ नहीं कह पाए. उन्हें अपनी छोटी नौकरी और बड़े परिवार का ख़याल आया .वे अपमान से जलते हुए और बारिश में भीगते हुए वापस लौट आए.
मैं शर्मिन्दा हूँ कि उस ग़रीब शिक्षक का 'इतने बड़े साहब' से appointment क्यों दिलवाया .पद में उनसे कम नहीं रहने के बावजूद मैं एक ग़रीब आदमी हूँ और उनके रसूख़ भी उनकी इमारत की तरह बड़े बुलंद हैं .वे आसानी से किसी को अपमानित कर देने की हैसियत में हैं .बेचारे शिक्षक डरे भी हुए हैं कि कहीं 'साहब'उनका अनिष्ट न कर दें .लेकिन मेरे मन में बड़ी तकलीफ़ है. बलात्कार की घटनाओं की बड़ी पब्लिसिटी होती है ,मुजरिम को सज़ा भी होती है ,समाज उद्वेलित भी होता है लेकिन भ्रष्ट परन्तु ताक़तवर लोगों के द्वारा जो कमज़ोरों के आत्म-सम्मान का बलात्कार किया जाता है कहाँ दर्ज़ होता है .
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें