विष्णु नागर की कविताएँ किनमें हो तुम ? अब बोलने वाले कम हैं चुप रहने वाले ज्यादा समर्थन करने वाले सबसे ज्यादा बोलकर चुप हो जाने वाले भी कम नहीं वह वक्त भी आ सकता है जब चुप रहने वाले समर्थन में आ जाएँ समर्थन करने वाले हत्यारे हो जाएँ जब हत्यारे खुश होकर लाशों के ऊपर नाचें और जो यह देख कर रोने लगे चीख पड़े , बेहोश हो जाए भय से काँप- काँप जाए उसे निपटाकर बैंड बाजों के साथ आगे आगे ही आगे निकल जाएँ अनंत तक छा जाएँ इसलिए बोलनेवाले कम न हों चुप रहने वाले ज्यादा न हों देखना तुम किनमें हो। *** जो होता है , सो होता है जैसे जीएम , जीएम होता है जैसे डीएम , डीएम होता है जैसे सीएम , सीएम होता है वैसे पीएम भी पीएम होता है जो भी हो , जैसा भी हो पीएम तो भई पीएम ही होता है केसरिया हो , तिरंगा हो हरा हो , पीला हो , नीला हो यहाँ तक कि पूरा का पूरा सफ़ेद हो , भूरा हो ...
यह ब्लॉग बस ज़हन में जो आ जाए उसे निकाल बाहर करने के लिए है .कोई 'गंभीर विमर्श ','सार्थक बहस 'के लिए नहीं क्योंकि 'हमको मालूम है जन्नत की हक़ीक़त लेकिन ..'