आजकल यूँ ही सोचता रहता हूँ :--
* आदमी भेड़िये की तरह क्यों नहीं दिखते ?
*मेरा एक पालतू कुत्ता पागल हो गया था ,रोटी
खिलाता था तो हाथ में काट लेता था .क्या वह
ज़्यादा सोशल हो गया था ?
*क्या ख़्वाब की बुनियाद हक़ीक़त होती है ?
*हर सिंहासन पर एक नक़ल क्यों बैठी होती है ?
*लिखना ज़्यादा ज़रूरी है के छपना ?
फेसबुक ,ब्लॉग वगैरह से फ़ायदा यह है के जो भी
आप सोचें सबको पढ़वा सकते हैं .
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