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एक था राजा ,एक थी रानी .......





आज सुबह अपनी छोटी-सी बेटी संदली को छत पर ले गया.कहानी सुना -सुना कर बिस्किट खिलाने.कहानी शुरू की -'एक था राजा,एक थी रानी /दोनों मर गए ख़तम कहानी .'संदली ने टोका-'लेकिन पापा,लाजा तो मलता नहीं है .लाजा लानी तो कहानी छुनाते हैं .'मैं चौंक गया.इतनी छोटी-सी लडकी को कैसे पता चल गया के राजा मरता नहीं .
वाक़ई,राजा तो मरता नहीं .राजा का शरीर अगर मर भी जाए तो कहते हैं 'The king is dead,long live the king'और राजा तो कभी मरा नहीं .साथ ही वह तब से अबतक रियाया को कहानी ही सुना रहा है .तरक्क़ी की परी की कहानी ,विरोधी aspiring ,प्रतिद्वंदी राजाओं यानी जिन्नों की कहानी --चन्द्रकान्ता संतति ,अलिफ़ लैला ,हातिमताई की लुभावनी कहानियां और रियाया इस बैताल को सर पर रखे प्रेम और चाव से कहानियां सुन रही है.कहानियों का आकर्षण इतना के रियाया को भूख भी नहीं लगती.नंगी भी रहती है और बेघरबार भी .
तो सच में ,लाजा मलता नहीं औल कहानी छुनाता रहता है .

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