आज सुबह, कहीं से भी अब तक प्रशंसा नहीं मिलने
की वजह से बाइबिल का सहारा ले लिया .'Thy are
the salt of earth'-तुम धरती का नमक हो .और खुश
हो रहा था के मेरे बिना इस धरती में स्वाद ही नहीं है.
इसी बीच प्रतिभा की ललकार आयी,'जाओ ,जाकर नमक
ले आओ ,घर में एक दाना भी नमक नहीं .'कमाल का इत्तिफ़ाक़
था .धरती का नमक और टाटा नमक .
जल्दी-जल्दी नीचे उतरा और नीचे वाली दूकान से शुद्ध
iodized नमक ले आया और फिर बैठ कर सोचने लगा .नमक
iodized नहीं हो तो गले में घेघ हो सकता है .और iodized नमक
ख़ास कम्पनियां बनाती हैं .वैसे गांधी जी ने भी नमक बनाया था .
मैं सोचने लगा .क्या बात है के बाइबिल के अनुसार धरती का
नमक होने पर भी मुझे recognition नहीं मिलता.गाड़ी,मकान ,
पत्र-पत्रिकाओं में लगातार छपना,शोहरत ,पुरस्कार ,बैंक बैलेंस ,
कुछ भी नहीं .लेकिन हूँ तो धरती का नमक .यहोवा नें कहा है साहब .
लेकिन यहोवा चालाकी कर गए .आदमी धरती का iodized नमक
नहीं सिर्फ नमक है .जबतक वह किसी कंपनी के हाथों परिष्कृत नहीं
हो जाता गले का घेघ ही पैदा करेगा.
तो जनाब,खुश होने की बात नहीं ,धरती का नमक होने के बावजूद
मैं गले का घेघ हूँ .
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... one of the greatest friend I have today in Patna is Sanjay-ji (as we all affectionately call him). It all started all with our proffesional involvement in Aakshar Anchal Yojana and it somehow oneday got converted in this beautiful thing call FRIENDSHIP.. I wish him all the best in whatever he does....it does not matter whether you are iodized salt or just normal salt... what matters is the taste that you bring in the daily food (of thaught) Debashish, Deloitte
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