ग़ज़ल
सुना,हवा के ज़ीने से वो माहताब उतर गया
अगर ये मोजज़ा ही था तो दिल में रंग भर गया
अगर ये मोजज़ा ही था तो दिल में रंग भर गया
उदासियों के दौर में जवाँ थीं मुस्कराहटें
जो दौरे -क़हक़हा चला तो मुझको तल्ख़ कर गया
जो दौरे -क़हक़हा चला तो मुझको तल्ख़ कर गया
वो सादा-सादा मंज़रों में रंग भरनेवाला था
सुना है,ख़ुशबुओं- सा वो गली-गली बिखर गया
सुना है,ख़ुशबुओं- सा वो गली-गली बिखर गया
वो खुद में जज़्ब इस क़दर के रंग पत्तियों में जज़्ब
वो होशमंद बज़्म से ख़ुशी से बेख़बर गया
वो होशमंद बज़्म से ख़ुशी से बेख़बर गया
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