गॉल ब्लैडर का ऑपरेशन और सहानुभूति-रस
कल मेरा ऑपरेशन है.चौंकने की ज़रुरत नहीं है .गॉल ब्लैडर का ऑपरेशन है.मेरे पेट से गॉल ब्लैडर को निकाल दिया जाएगा .मैंने इस सिलसिले में अपने शुभचिंतकों से सहानुभूति प्राप्त करनी चाही .नहीं मिली .लोगों ने मुंह बिचकाया .बड़ा मामूली -सा ऑपरेशन है.जान-पहचान के कई लोगों ने करवाया है.सहानुभूति रस का पान नहीं कर पाया.जब तक कुछ बड़ा नहीं हो आप कोई अटेंशन प्राप्त नहीं कर सकते .
आप कलमाडी बन जाइए ,आप फूलन देवी बनिए ,आप बड़ा नर-संहार करवाइए ,आप ट्विन टावर के बीच में घुस जाइए ,आप मैच -फिक्सिंग कीजिये ,आप पेट्रोल की क़ीमत बढवा दीजिये,आप वेंटिलेटर यानी भीष्म की मृत्यु-शैय्या पर चले जाइए तो अटेंशन खींचियेगा.यह क्या हुआ कि एक टुच्चा -सा गॉल ब्लैडर निकाल कर सबको यूँ दिखला रहे हैं जैसे वीरता का मेडल दिखला रहे हों .स्थानीय स्तर का गाँव के किसी बूढ़े-पुराने तथाकथित स्वतंत्रता सेनानी के नाम पर कोई मासूम ,फूहड़ पुरस्कार पाकर आप क्या अटेंशन खींच सकते हैं .हाँ ,राष्ट्रीय स्तर के तोड़-जोड़ से राष्ट्रीय स्तर का कोई अवार्ड जुगाड़ कर लें तो दोस्त -अहबाब क्या ,मीडिया तक का अटेंशन पा सकते हैं.और अपनी ज़िंदगी कमबख्त कभी कुछ बड़ा हासिल नहीं कर पाई .गॉल ब्लैडर को पत्थर के साथ पेट-निकाला देकर बस इतना ही होगा कि तेल -घी ,मांस-मुर्ग़ा कम करना होगा यानि पेट पर पत्थर बाँधना होगा .वीरोचित कुछ भी नहीं .तो चलिए यह एफ़र्ट भी फेल कर गया .जितनी सहानुभूति की अपेक्षा की थी उसका रत्ती भर भी नहीं मिला .
लेकिन आप तो सबक़ लीजिये और कुछ बड़ा कीजिये.यह बेवकूफ़ दाना तो ख़ाक में मिलकर गुलज़ार होने की कोशिश कर रहा है .
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें