कभी-कभी मुझे लगता है
कभी-कभी मुझे लगता है
ऐसा हो जाए
कहीं पे दर्द मिले और
कहीं पे खो जाए
मैं ढूँढ़ता फिरूं बेचैन और
बेकल होकर
बन के सौदाई भटकता ही रहूँ
मैं दर-दर
निशाँ न कोई मिले
और न कुछ सुराग़ मिले
हमेशा दिल पे हो रोशन
कुछ ऐसा दाग़ मिले
दीदाए-तिश्ना
सफ़र पे रहूँ हरेक लम्हा
हमेशा आँख से
ओझल रहे वो दर्द मेरा
वो एक पल भी तो आए कभी
के आँख लगे
गुनूदगी मेरी
धुंधला सा कोई ख़्वाब बुने
ख़्वाब में भी तो
नज़र आए वो मुब्हम पैकर
मैं जिसको
उम्र भर ढूंढा किया बेकल होकर
और फिर टीस उठे सीने में
इस तरह उठे
के उसके बाद तो
इमकाने-दर्द ही न रहे
लोग आएं
तो गिरां नींद में सोया देखें
गहरी ख़ामोशी में
हंसता हुआ चेहरा देखें
****************
मैं ढूँढ़ता फिरूं बेचैन और
बेकल होकर
बन के सौदाई भटकता ही रहूँ
मैं दर-दर
निशाँ न कोई मिले
और न कुछ सुराग़ मिले
हमेशा दिल पे हो रोशन
कुछ ऐसा दाग़ मिले
दीदाए-तिश्ना
सफ़र पे रहूँ हरेक लम्हा
हमेशा आँख से
ओझल रहे वो दर्द मेरा
वो एक पल भी तो आए कभी
के आँख लगे
गुनूदगी मेरी
धुंधला सा कोई ख़्वाब बुने
ख़्वाब में भी तो
नज़र आए वो मुब्हम पैकर
मैं जिसको
उम्र भर ढूंढा किया बेकल होकर
और फिर टीस उठे सीने में
इस तरह उठे
के उसके बाद तो
इमकाने-दर्द ही न रहे
लोग आएं
तो गिरां नींद में सोया देखें
गहरी ख़ामोशी में
हंसता हुआ चेहरा देखें
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