ग़ज़ल
वैसे आज़ाद था पर पाँव में ज़ंजीर भी थी
एक पोशीदा कहानी पसे-तहरीर भी थी
एक पोशीदा कहानी पसे-तहरीर भी थी
इस क़दर मैंने हुकूमत की दिलों पर उनके
चीज़ उनकी थी यक़ीनन,मेरी जागीर भी थी
चीज़ उनकी थी यक़ीनन,मेरी जागीर भी थी
शाम तन्हाई की अल्बम में तुझे पा न सका
मेज़ पे गरचे तेरी मोहिनी तस्वीर भी थी
मेज़ पे गरचे तेरी मोहिनी तस्वीर भी थी
वो ज़माने की दलीलों को समझता कैसे
दिल की इक ग़ौर से सोची हुई तक़रीर भी थी
दिल की इक ग़ौर से सोची हुई तक़रीर भी थी
तेरी दुनिया में तो फ़ुर्सत न मिली इक दम भी
ख़्वाब के बाद फिर इक कोशिशे-ताबीर भी थी
ख़्वाब के बाद फिर इक कोशिशे-ताबीर भी थी
गरचे चेहरे पे तआस्सुर था सुकूँ का क़ायम
एक बेचैनी हमावक़्त बग़लगीर भी थी
एक बेचैनी हमावक़्त बग़लगीर भी थी
वैसे सब मुझसे मुहब्बत से मिले थे 'कुंदन'
साथ मेरे मेरी बिगड़ी हुई तक़दीर भी थी
साथ मेरे मेरी बिगड़ी हुई तक़दीर भी थी
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