ग़ज़ल
विरसे में कुछ मिला है,यहाँ फ़लसफ़ा कुछ और
फ़रियाद मेरी और , तेरा क़हक़हा कुछ और
हमको ये कह के कर दिया ख़ारिज जनाब ने
तुम दिल की राह चलते हो, ये रास्ता कुछ और
ये और बात माननी होगी ही उसकी बात
अपना यक़ीं कुछ और है उसका कहा कुछ और
देते हैं हुक्म पढ़ के हुकूमत की वो किताब
हमने पढ़ा कुछ और था इसमें लिखा कुछ और
ठोकर भी खा के आजतक संभला नहीं ये शख्श
शक ही नहीं करने की ये इसकी अदा कुछ और
सरमाया के शीशे में ही सब देखते हैं शक्ल
हम सब को दिखाते हैं जो वो आईना कुछ और
वो रंगो-बू का दौर तो 'कुन्दन' गुज़र गया
गुलशन का रंग लगता है तेरे बिना कुछ और
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फ़रियाद मेरी और , तेरा क़हक़हा कुछ और
हमको ये कह के कर दिया ख़ारिज जनाब ने
तुम दिल की राह चलते हो, ये रास्ता कुछ और
ये और बात माननी होगी ही उसकी बात
अपना यक़ीं कुछ और है उसका कहा कुछ और
देते हैं हुक्म पढ़ के हुकूमत की वो किताब
हमने पढ़ा कुछ और था इसमें लिखा कुछ और
ठोकर भी खा के आजतक संभला नहीं ये शख्श
शक ही नहीं करने की ये इसकी अदा कुछ और
सरमाया के शीशे में ही सब देखते हैं शक्ल
हम सब को दिखाते हैं जो वो आईना कुछ और
वो रंगो-बू का दौर तो 'कुन्दन' गुज़र गया
गुलशन का रंग लगता है तेरे बिना कुछ और
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