हमलोग जहाँ पर रहते हैं
हमलोग जहाँ पर रहते हैं
वो एक अजब-सी दुनिया है
कुछ छोटे-छोटे सपने हैं
कुछ छोटी-छोटी ख़्वाहिश है
हैरत है के ताबीर नहीं
हैरत है के उन ख़्वाहिश का
छोटा-सा,सुबुक-सा भी टुकड़ा
पूरा करने की जद्दो- जिहद
में कट जाता है हरइक पल
आँखों में अधूरी आस लिए
फिर पलकें ही मुँद जाती हैं
पर हर ख़्वाहिश रह जाती है
और सपने भी मरते ही नहीं
बस जिस्म बदलते रहते हैं
बस भेस बदलते रहते हैं
शफ़्फ़ाफ़-सी आँखें ,ताज़़ा लहू
दिल जो हैं जवाँ ,जिनमें है उमंग
वो चाल रवानी है जिनमें
वो ढंग जवानी है जिनमें
ये सारे सपने ,हर ख़्वाहिश
बस उनका रुख़ कर लेते हैं
हमलोग जहाँ पर रहते हैं
वो एक अजब-सी दुनिया है
बस्ती तो फ़ना हो जाती है
पर ख़्वाब जहाँ मरते ही नहीं
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हमलोग जहाँ पर रहते हैं
वो एक अजब-सी दुनिया है
कुछ छोटे-छोटे सपने हैं
कुछ छोटी-छोटी ख़्वाहिश है
हैरत है के ताबीर नहीं
हैरत है के उन ख़्वाहिश का
छोटा-सा,सुबुक-सा भी टुकड़ा
पूरा करने की जद्दो- जिहद
में कट जाता है हरइक पल
आँखों में अधूरी आस लिए
फिर पलकें ही मुँद जाती हैं
पर हर ख़्वाहिश रह जाती है
और सपने भी मरते ही नहीं
बस जिस्म बदलते रहते हैं
बस भेस बदलते रहते हैं
शफ़्फ़ाफ़-सी आँखें ,ताज़़ा लहू
दिल जो हैं जवाँ ,जिनमें है उमंग
वो चाल रवानी है जिनमें
वो ढंग जवानी है जिनमें
ये सारे सपने ,हर ख़्वाहिश
बस उनका रुख़ कर लेते हैं
हमलोग जहाँ पर रहते हैं
वो एक अजब-सी दुनिया है
बस्ती तो फ़ना हो जाती है
पर ख़्वाब जहाँ मरते ही नहीं
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