ग़ज़ल
मेरी थकान पे रखती है हाथ नन्ही परी
अजब सुकून को लाती है साथ नन्ही परी
कई दुखों का है ठहराव ज़िन्दगी जैसे
तमाम ख़ुशियों का जैसे सबात नन्ही परी
मेरी हथेली में रखकर वो अपनी मुट्ठी को
जैसे कर लेती है महफ़ूज़ रात नन्ही परी
फ़ना की गलियों में फिरता हूँ शाम ढलने तक
घर पे मिल जाती है मिस्ले-हयात नन्ही परी
तिफ़्ल बन जाता हूँ जैसे मैं उसकी सोहबत में
बुज़ुर्ग जैसी जो रखती है बात नन्ही परी
मेरा ही अक्स है पर कितनी है जुदा मुझसे
मैं तेज़ दोपहर , है चाँद रात नन्ही परी
महक उठा है मेरे दिल का ख़राबाँ 'कुन्दन'
जब से दाख़िल हुई सन्दल की ज़ात नन्ही परी
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तमाम ख़ुशियों का जैसे सबात नन्ही परी
मेरी हथेली में रखकर वो अपनी मुट्ठी को
जैसे कर लेती है महफ़ूज़ रात नन्ही परी
फ़ना की गलियों में फिरता हूँ शाम ढलने तक
घर पे मिल जाती है मिस्ले-हयात नन्ही परी
तिफ़्ल बन जाता हूँ जैसे मैं उसकी सोहबत में
बुज़ुर्ग जैसी जो रखती है बात नन्ही परी
मेरा ही अक्स है पर कितनी है जुदा मुझसे
मैं तेज़ दोपहर , है चाँद रात नन्ही परी
महक उठा है मेरे दिल का ख़राबाँ 'कुन्दन'
जब से दाख़िल हुई सन्दल की ज़ात नन्ही परी
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