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मई, 2013 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं
ग़ज़ल  ख़ुद से मिलते हैं कभी ख़ुद को भूल जाते हैं  हमपे वाजिब भी नहीं नाज़ वो उठाते हैं लाख हँसते हों मगर हैं तो ख़स्ताहाल ही हम  सब पे ज़ाहिर हैं मगर इक ज़रा छुपाते हैं अब अकेले में भी करते हैं क्या इसे छोड़ो  सामने सबके हमेशा ही मुस्कराते हैं झूठ भी कहते हुए वो न लरज़ता है ज़रा  सच भी कहते हुए ये होठ थरथराते हैं सामना करते हैं दिन-रात हक़ीक़त का हम  और इक लम्से-तसव्वुर से बिखर जाते हैं आँख के बदले है कानों पे भरोसा इतना  जो भी सुनते हैं वही सबको ये सुनाते हैं लगी है आग जो दिल में उसे भी क्या देखें  शिकम की आग ही 'कुंदन' यहाँ बुझाते हैं     *******************
ग़ज़ल  रात आँखों  में  ही गुज़ारी  है  और हर लम्हा दिन का भारी है  सर झुकाता नहीं है, हैरत है  कोई नश्शा तो उसपे तारी है  मेरे अलफ़ाज़ थे नदामत के  उसने समझा के इन्कसारी है  ध्यान आया है आख़िरी पल में  जीत कर हमने जंग हारी  है  ख़ुद से छुप के मिलें हैं जिस लम्हा  हमने लम्हे में उम्र उतारी है  पत्थरों पे फिसलता हो पानी  वैसे ही दिल पे शेर तारी  है  इक सलीक़े का शेर हो 'कुन्दन ' बस  यही  एक  बेक़रारी   है  ***********************
ग़ज़ल   ज़िन्दगी अस्ल  में ज़रुरत हो  माफ़ करना कहा मुसीबत हो  कल हो याके हो आज का ये दिन  तुम हमेशा से इक क़यामत हो  पर कहाँ जाऊं छोड़कर तुमको  दश्त में घर की इक शबाहत हो  गुलमोहर तुमसे है तरग़ीबे- सुख़न  मेरे अशआर की  हरारत  हो  तुम तो दिल तोड़ने में माहिर हो  इक ज़रा मुझसे भी शरारत हो  मैंने माना सफ़र है सख्त बहुत  रास्तों में तो कुछ नज़ाक़त हो  सच से लगता है  खौफ़ ऐ 'कुंदन' और मुजस्सम ही तुम सदाक़त हो *********************
ग़ज़ल  क्या जाने किन ख़लाओं की मैं चाहतों में हूँ  महदूद इलाक़ा है  मगर  वुसअतों  में  हूँ जब तक था उसके पहरे में आज़ाद बहुत था  जब  से  उठाए  पहरे  बहुत बंधनों  में  हूँ सरगर्मियाँ हयात की हर लम्हा गामज़न  हर लम्हा अपनी ज़ात की तनहाइयों में हूँ आओगे जब क़रीब तो घबड़ा के होगे दूर  इक जज़्बा-ए-बेनाम की मैं शिद्दतों में हूँ दुहरा रहा हूँ ख़ुद को हरइक लम्हा ख़ामख़्वाह  अक्स और आईने की ग़ज़ब ग़फ़लतों में हूँ कोई हटाए सर से मेरे बोझ तो समझूं  चेहरा नहीं हूँ , भीड़ के इन पैकरों में हूँ 'कुंदन' हज़ार नींद की तकमील बस इक नींद  किस क़िस्सा-ए-बेदार के  ज़ुल्मतकदे  में  हूँ *************