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अप्रैल, 2015 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

नज़्म

तुम्हें जब भी भुलाऊँगा   तुम्हें  जब भी भुलाऊँगा मुझे तुम याद आओगे तुम्हें चाहा था मैंने इस हुदूदे-जिस्म से बाहर तुम्हें चाहा था मैंने आस्माँ को बाँहों में भरकर तुम्हें क्यूँ चाहा था इसका न ख़ुद भी इल्म है मुझको के चाहत नाम है जिसका है बेचेहरा कोई पैकर हदें जब तोड़ पाऊँगा   मुझे तुम याद आओगे  तुम्हें  जब भी भुलाऊँगा मुझे तुम याद आओगे ख़िज़ाँ की बरहना शाख़ें ,अकेली जागती रातें हवा की साँय साँय जैसे ख़ुद से करते हों बातें खंडर में याद के बेचैन सी तनहा चहलक़दमी तुम्हारी इक ज़रा लग्ज़िश की ये भरपूर सौग़ातें मैं इनका लुत्फ़ उठाऊँगा मुझे तुम याद आओगे तुम्हें  जब भी भुलाऊँगा मुझे तुम याद आओगे ये सच है एक पल सोचा के तुमको भूल जाऊँगा उजारूँगा शह्र इक,  इक नई  बस्ती  बसाऊँगा मगर जो चाँदनी रातों में तेरी खुशबुएँ शामिल भला दिल के हरन को किस क़दर मैं रोक  पाऊँगा मैं दिल के नाज़ उठाऊँगा  मुझे तुम याद आओगे तुम्हें  जब भी भुलाऊँगा मुझे तुम याद आओगे ************************

यूँ ही बेसबब....

यूँ ही बेसबब.... ज़रा शह्र की आज  सड़कों पे घूमा   न दफ़्तर का चक्कर, न घर के मसाइल न सोचा के हैं मुल्क के कैसे रहबर न देखा उसे रास्ते के किनारे जिसे कोई भी देखता ही नहीं है न चाहा के बाँटूँ मैं ग़म दूसरों का न कोशिश ये की  शब की नादानियों में  जो ख़्वाबों को देखा है ताबीर कर लूँ न तरसा के  जो शायरी अब तलक की उसे बैठकर चाय की इक दुकाँ पे  सुनाकर करूँ ख़ुदसताइश का सामाँ यूँ ही बेसबब और यूँ ही बेइरादा ज़रा शह्र की आज सड़कों पे घूमा मगर आज जब थक के बिस्तर पे लेटा वो ख़्वाबों का चेहरा बड़ा अजनबी था कुछ ऐसे सवालात थे सब्त जिसपे जवाबात जिनके थे सड़कों पे बिखरे ###########
   ग़ज़ल Public Friends Only Me Custom Family government of bihar See all lists... Saakshar Bharat government of bihar Patna, India Area Go Back सारे  भरम ज़िन्दा उसमें तुम और हम ज़िन्दा उसमें वो  साया  हमदोनों  का सारे क़सम ज़िन्दा उसमें ख़ुशियाँ फ़ना हुईं  हमसे रंजो-अलम ज़िन्दा उसमें याद के पिंजरे में  लम्हे बिछड़ा ग़म ज़िन्दा उसमें मौसम  सारे  कुम्हलाए इक मौसम ज़िन्दा उसमें ख़ुश न हुए हम इक लम्हा कौन सा ग़म ज़िन्दा उसमें काबा-ए-दिल कैसा 'कुन्दन' सारे  सनम  ज़िन्दा  उसमें ###########
ग़ज़ल Public Friends Only Me Custom Family government of bihar See all lists... Saakshar Bharat government of bihar Patna, India Area Go Back ग़ौर से पढ़िए तो बस एक ही अफ़साना है   अपने मफ़हूम से जो लफ़्ज़ है बेगाना है वैसे जाना तो है एक दिन बहुत ही दूर हमें पर  ये  मालूम नहीं है   के  कहाँ जाना है अपनी कोशिश रही कोशिश से नहीं बाज़ आएँ जो  नहीं  समझेंगे   उनको हमें समझाना है हम उदासी के भँवर में तो गिरफ़्तार नहीं हो  किनारा  के  तहे-बह्र   उतर जाना है कुछ तबीयत न हुई जाएँ दरे-शाह पे  हम चलिए मंज़ूर है बस सर ही तो कटवाना है उसने बेचैनी की जागीर जो लिख दी हमको अब  जहाँ  आएँ  ब-अंदाज़े-जुनूँ  आना  है एक ख़्वाहिश है के उस गाम पे पहुँचे 'कुन्दन' कह  सके   लौट के वापस  न  उसे  जाना  है ***************
       ग़ज़ल Public Friends Only Me Custom Family government of bihar See all lists... Saakshar Bharat government of bihar Patna, India Area Go Back  अजब  एहसास से  आरी  है दुनिया मगर फिर भी बहुत प्यारी है दुनिया नहीं छोड़ेगी जब तक सांस बाक़ी हमारी  जान  पे  भारी  है दुनिया कभी सिमटे किसी इक शख़्स में  ये कभी  अफ़लाक  पे  तारी  है दुनिया सिकंदर  की  कभी  महबूब  है   ये  कभी  मजनूँ  की बेज़ारी है दुनिया निकल जाओ सलीक़े से  यहाँ से इसी नुक़्ते की तैय्यारी है दुनिया यही सच है तवील इक नींद में है गुमाँ ये है  के  बेदारी है  दुनिया तेरी दुनिया की  मजबूरी है  'कुन्दन' और इस शायर की लाचारी है दुनिया         ##########
                  ग़ज़ल Public Friends Only Me Custom Family government of bihar See all lists... Saakshar Bharat government of bihar Patna, India Area Go Back           मैंने  सोचा  था   मेरे  चाहनेवाले  हैं  बहुत          ये न समझा के यहाँ शख़्स निराले हैं बहुत       मुझपे शक कर लो मगर झाँक के दिल में देखो      मेरी   मासूम  मुहब्बत   के   हवाले   हैं  बहुत         मैंने माना के मेरी जान अन्धेरा है दबीज़          सब्र कर इसमें शररबार उजाले हैं बहुत       एक लम्हे के लिए ख़ुद में ज़रा गुम जो हुआ      ख़ैरख़्वाहों ने  तो  मफ़हूम निकाले हैं  बहुत      भूख  पर  उनकी  ही तक़रीर  ज़बर्दस्त  रही      जिनके ग़ल्ले हैं फ़ुजूँ,जिनके निवाले हैं बहुत      उस नगर से ही मैं निकला हूँ अभी बाइज़्ज़त     जिसकी तारीख़  के  दस्तार उछाले हैं  बहुत    कल थका सा था मिला वो ही तुम्हारा 'कुन्दन'    ज़िन्दगी ,  जिसने  तेरे  वार  सँभाले  हैं  बहुत                *******************