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ग़ज़ल 

होना नहीं था  जिसको  वही आज हो गया 
दुनिया में नुमायाँ था ,कमरे  में खो  गया  

जो  शोर  मचाता  हुआ एहसास था दिल में 
बच्चे की तरह थक के वो बिस्तर पे सो गया 

मैं  वक़्त  के  चटान  पे यूँ  ख़ुश्क   खड़ा  था
बादल की तरह याद का लम्हा  भिगो  गया  

चेहरे  पे उभरता  ही नहीं  कोई  ताआस्सुर
ऐ कीमियागर ,मोम भी पत्थर-सा हो गया 

एक सहमा-सा आंसू जो दरे-दिल पे खड़ा था 
'कुंदन'  मेरे  तमाम  गुनाहों  को धो   गया 

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